
भोपाल
नगर निगम चुनाव में खर्च का विवरण न देने पर मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए 14 उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित कर दिया है। इन प्रत्याशियों पर अब आगामी 2 से 5 वर्षों तक कोई भी चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई है। यह कार्रवाई जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 10A के तहत की गई है।
निर्वाचन आयोग की सख्ती: नोटिस के बाद हुई निर्णायक कार्रवाई
चुनावी खर्च की जानकारी समयसीमा में प्रस्तुत न करने को आयोग ने गंभीर लापरवाही माना। संबंधित प्रत्याशियों को पहले नोटिस जारी कर जवाब देने का अवसर दिया गया था। जिला निर्वाचन अधिकारी की सिफारिश के बाद यह कठोर निर्णय लिया गया।
कितनी अवधि का प्रतिबंध किस पर?
- 2 प्रत्याशियों को 5 साल के लिए अयोग्य घोषित किया गया।
- 12 प्रत्याशियों पर 2 साल का चुनावी प्रतिबंध लगाया गया है।
सभी दलों के उम्मीदवार कार्रवाई की जद में
इस सूची में भाजपा के 1, कांग्रेस के 2, आम आदमी पार्टी के 1, बहुजन समाज पार्टी के 2 और 8 निर्दलीय प्रत्याशी शामिल हैं। ये सभी पार्षद पद के उम्मीदवार थे।
क्यों होता है चुनाव खर्च का हिसाब जरूरी?
चुनाव प्रचार में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग प्रत्येक प्रत्याशी को अनिवार्य रूप से निर्धारित समय में खर्च का पूरा विवरण सौंपने का प्रावधान करता है। ऐसा न करना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का सीधा उल्लंघन है, जिससे उनकी पात्रता पर असर पड़ता है।
चुनाव आयोग का स्पष्ट संदेश
राज्य निर्वाचन आयोग की इस कार्रवाई से यह साफ संदेश गया है कि नियमों की अनदेखी अब किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आने वाले चुनावों में भी इसी प्रकार सख्ती बरती जाएगी, जिससे जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।