Dharm Desk

मंदसौर के खिचलीपुर में स्थित 1500 साल पुराने पश्चिमी मुखी कुबेर की धनतेरस के दिन विशेष पूजा होती है और भक्तों को मनचाहा वरदान मिलता है. कहते हैं पश्चिमी मुखी कुबेर मंदिर का पट कभी बंद नहीं होता है और केदारनाथ के बाद दूसरा पश्चिमी मुखी कुबेर का मंदिर है.

धनतेरस के साथ आज पूरे दुनिया में दीपावली त्योहार की शुरूआत हो गई. धनतेरस पर धन के देवता कुबेर की पूजा भक्त अपने लिए धन-दौलत और ऐश्वर्य करते हैं. मंदसौर जिले के खिचलीपुर में पश्चिमी मुखी कुबेर की पूजा का बड़ा महत्व हैं, जहां मीलों से चलकर लोग कुबेर की विशेष पूजा के लिए पहुंचते हैं. 

मंदसौर के खिचलीपुर में स्थित 1500 साल पुराने पश्चिमी मुखी कुबेर की धनतेरस के दिन विशेष पूजा होती है और भक्तों को मनचाहा वरदान मिलता है. कहते हैं पश्चिमी मुखी कुबेर मंदिर का पट कभी बंद नहीं होता है और केदारनाथ के बाद दूसरा पश्चिमी मुखी कुबेर का मंदिर है.  

कभी बंद नहीं होते गुप्तकालीन पश्चिम मुखी कुबेर मंदिर के पट

मंदसौर के खिलचीपुर में प्राचीन पश्चिम मुखी कुबेर की प्रतिमा मंदिर में स्थित शिवलिंग के समीप स्थापित हैं. यह प्रतिमा केदारनाथ के बाद मंदसौर में ही है. करीब डेढ़ हजार वर्ष पुराने कुबेर मंदिर कभी पट बंद नहीं होते हैं और धनतेरस के मौके पर कुबेर की ख़ास पूजा होती है, जिसके लिए भक्तो की भारी भीड़ उमड़ती है.

कुबेर मंदिर के गर्भगृह में धनतेरस को ही प्रवेश कर सकते हैं भक्त

रिपोर्ट के मुताबिक मंदसौर स्थित कुबेर मंदिर की बनावट ऐसी है कि हर भक्त को मंदिर में सिर झुकाकर प्रवेश करना होता है. मंदिर में प्रवेश के प्राचीन दरवाजे की ऊंचाई तीन फीट के लगभग है. ऐसे में एक बार में एक ही भक्त प्रवेश कर पाता है. हालांकि कुबेर मंदिर के गर्भगृह में भक्त धनतेरस के दिन ही प्रवेश कर सकते हैं.

पश्चिम मुखी कुबेर के दर्शनों के लिए धनतेरस के दिन श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है. मंदिर के गर्भगृह में स्थित गुप्तकालीन प्रतिमा के दर्शन के लिए श्रद्धालु एक दिन पहले से ही कतार में लग जाते हैं, तो कई भक्त सुबह से लाइन में खड़े होकर धनतेरस के दिन अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हैं.

धनतेरस के दिन कुबेर मंदिर में उमड़ता है भक्तों का सैलाब

धनतेरस के दिन पश्चिम मुखी कुबेर मंदिर में धन के देवता के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है. मंदिर के गर्भगृह में स्थित गुप्तकालीन प्रतिमा के दर्शन के लिए श्रद्धालु एक दिन पहले से ही कतार में लग जाते हैं, तो कई भक्त सुबह से लाइन में खड़े होकर धनतेरस के दिन अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हैं.

अकेला मंदिर, जहां कुबेर के साथ शिव भी हैं विराजमान

गौरतलब है केवल मंदसौर नहीं, पश्चिम मुखी कुबेर देवता की विशेष पूजा के लिए धनतेरस पर पड़ोसी राज्यों से भी लोग यहां पहुचते हैं. गुप्तकालीन पश्चिम मुखी कुबेर मंदिर विश्व का अकेला अनोखा मंदिर है, जहां कुबेर के साथ साथ शिव प्रतिमा भी विराजित है. कहा जाता है कि चमत्कारी मंदिर यहां बनाया नहीं गया बल्कि उड़ कर आया है, क्योकि इसकी नीव नहीं है.

शिव और कुबेर की प्रतिमाओं वाले इस चमत्कारी मंदिर में धनतेरस पर होने वाली विशेष पूजा और हवंन के लिए हजारो श्रद्धालु सुबह तड़के से ही यहां एकत्र होते हैं. माना जाता है की यहां धनतेरस पर कुबेर प्रतिमा के दर्शन करने से श्रद्धालुओं की समस्त मनोकमनाए पूर्ण होती है

तिजोरी में रखने से धन में बदल जाती है मंदिर की मिट्टी

मंदसौर स्थित पश्चिम मुखी कुबेर मंदिर खजाने से अटा पड़ा है, जिसे खोजने के लिए लोग यहां रात में खुदाई करते है, लेकिन इस प्रयास में कई लोग पागल भी हुए है तो कई और विपदाओं से घिरे है. माना जाता है कि यहां की मिटटी ले जाकर लोग तिजोरी में रखते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से मिट्टी धन में बदल जाता है.

धनतेरस पर विशेष पूजा से भक्तों की झोली भरते हैं कुबेर

शिव और कुबेर की प्रतिमाओं वाले इस चमत्कारी मंदिर में धनतेरस पर होने वाली विशेष पूजा और हवंन के लिए हजारो श्रद्धालु सुबह तड़के से ही यहां एकत्र होते हैं. माना जाता है की यहां धनतेरस पर कुबेर प्रतिमा के दर्शन करने से श्रद्धालुओं की समस्त मनोकमनाए पूर्ण होती है और कुबेर प्रसन्न होकर धन धान्य से उन्हें परिपूर्ण करते हैं.

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