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आज (20 सितंबर) गणेश उत्सव का दूसरा दिन है। इन दिनों में गणेश जी की पूजा के साथ ही उनसे जुड़ी कथाएं पढ़ने-सुनने की भी परंपरा है। गणेश जी की कथाओं में जीवन प्रबंधन के सूत्र बताए गए हैं, इन सूत्रों को जीवन में उतारने पर हम कई परेशानियों से बच सकते हैं। यहां जानिए गणेश जी और कुबेर देव की कथा, जिसमें भगवान ने कुबेर देव का घमंड तोड़ा था।

देवताओं के कोषाध्यक्ष को एक दिन अपने पद और धन का घमंड हो गया है। इसी घमंड में वे शिव जी के पास पहुंच गए और शिव जी को सपरिवार अपने महल में खाने के लिए निमंत्रण दिया।

शिव जी ने कहा कि आप हमें खाना खिलाएंगे, इससे अच्छा तो ये है कि आप जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं।

कुबेर ने कहा कि भगवन्, मेरे पास बहुत धन है और मैं जरूरतमंद लोगों को तो खाना खिलाता रहता हूं, लेकिन आज मेरी इच्छा है कि मैं आपके परिवार को भी खाना खिलाऊं।

शिव जी समझ गए कि कुबेर को अपने धन और पद का घमंड हो गया है। उन्होंने कहा कि मैं तो कहीं आता-जाता नहीं हूं, आप एक काम करें, गणेश को अपने साथ ले जाएं। उन्हें भोजन करा दीजिए, लेकिन ध्यान रखें गणेश की भूख आसानी से शांत नहीं होती है।

कुबेर ने कहा कि मैं सभी को खाना खिलाता हूं तो गणेश जी को भी खिला दूंगा।

खाने का निमंत्रण पाकर गणेश जी कुबेर के महल पहुंच गए। कुबेर ने उनके लिए बहुत सारा खाना बनवाया। गणेश जी खाने बैठे तो वे खाए जा रहे थे, थोड़ी ही देर में कुबेर की रसोई का पूरा खाना खत्म हो गया। गणेश जी ने और खाना मांगा।

कुबेर ये देखकर घबरा गए। उन्होंने और खाना तुरंत बनवाया तो वह भी खत्म हो गया। गणेश जी बार-बार खाना मांग रहे थे। कुबेर ने गणेश जी के सामने हाथ जोड़ लिए और कहा कि अब तो मेरे घर का सारा खाना खत्म हो गया है। मैं और खाना नहीं खिला सकता।

गणेश जी ने कहा कि लेकिन मेरी भूख तो अभी शांत ही नहीं हुई है। मुझे अपने रसोईघर में ले चलो।

कुबेर गणेश जी को रसोईघर में ले गए तो वहां रखी सभी चीजें गणेश खा गए। गणेश जी अब भी भूखे थे। उन्होंने कहा कि मुझे भंडार गृह में ले चलो, जहां खाने का कच्चा सामान रखा है। कुबेर भगवान को अपने भंडार गृह में ले गए तो गणेश जी ने वहां रखी खाने की सभी चीजें भी खा लीं।

अब तो कुबेर देव की बुद्धि ने काम करना बंद कर दिया। वे तुरंत ही शिव जी के पास पहुंच गए। उन्होंने शिव जी को पूरी बात बता दी। शिव जी ने गणेश जी से कहा कि जाओ, माता पार्वती को बुलाकर लाओ।

मां पार्वती को देखकर गणेश ने कहा कि मां, कुबेर देव के खाने से मेरी भूख शांत नहीं हुई है। मुझे खाने के लिए कुछ दीजिए।

पार्वती अपने रसोईघर में गईं और खाना बनाकर ले आईं। उन्होंने जैसे ही देवी ने गणेश जी को अपने हाथ से खाना खिलाया तो गणेश तृप्त हो गए। मां और खिलाने लगी तो गणेश जी ने कहा, मां मेरा पेट भर गया है। अब मैं नहीं खा सकता।

ये सब देखकर कुबेर देव का घमंड टूट गया और उन्हें अपनी गलती समझ आ गई। कुबेर ने सभी से क्षमा मांगी।

इस तरह भगवान गणेश ने कुबेर देव का पद औऱ धन का घमंड तोड़ दिया। भगवान हमें यही संदेश दिया है कि जो लोग अपने पद और धन का घमंड करते हैं, उन्हें बाद में पछताना पड़ता है। इस बुराई को जल्दी से जल्दी छोड़ देना चाहिए।

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