IMT DESK

निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के गाने ‘तार बिजली से पतले हमारे पिया’ को भी शारदा सिन्हा ने ही आवाज दी थी. इस गाने के लिए एक ऐसी आवाज चाहिए थी जिसको सुनते हीं मिट्टी की खुशबू आती हो. शारदा जी की आवाज में भी वही खुशबू थी जिसकी फिल्म के मेकर्स को तलाश दी. फिल्म के इस गाने ने शारदा जी को बॉलीवुड में भी अमर कर दिया,

बिहार की स्वर कोकिला और मशहूर लोक गीत गायिका शारहा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहीं. उन्होंने 72 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया. शारदा की तबीयत को लेकर हर मिनट अपडेट्स आ रही थीं. वो राजधानी दिल्ली के AIIMS अस्पताल में भर्ती थीं, जहां उनकी हालत काफी गंभीर बनी हुई थी. सोमवार यानी 4 नवंबर को दोपहर के समय उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया था, इसके बाद से उनके फैन्स उनकी सलामती की दुआ कर रहे थे.

शारदा जी लोक गीतों की मल्लिका थीं, इसके साथ ही उन्होंने बॉलीवुड में भी काफी गानों को अपनी आवाज दी थी. निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के गाने ‘तार बिजली से पतले हमारे पिया’ को भी शारदा सिन्हा ने ही आवाज दी थी. असल में ये एक नक्टा है. नक्टा, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में शादियों में गाए जाने वाले लोक गीतों में से एक है जिसमें दुल्हन को उसके पति की किसी बात को लेकर छेड़ा जाता है, या फिर दुल्हन अपने ससुराल के लोगों को अपने पति को लेकर शिकायत करती है. जैसे इस गाने में दुल्हन कहती है कि उसके पिता बिजली के तार से भी ज्यादा पतले हैं.

पॉलिटिकल सटायर था गाना

‘तार बिजली से पतले हमारे पिया’ एक खास तरह का गाना था जिसके लिए एक ऐसी आवाज चाहिए थी जिसको सुनते हीं मिट्टी की खुशबू आती हो. शारदा जी की आवाज में भी वही खुशबू थी जिसकी फिल्म के मेकर्स को तलाश दी. फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में ये गाना एक पॉलिटिकल सटायर के तौर पर इस्तेमाल किया गया है. वैसे तो इस फिल्म के बनने की सारी ही बातें दिलचस्प थीं, लेकिन खासतौर पर इस गाने और शारदा जी के इसको अपनी आवाज देने की कहानी भी काफी हटके है. ये गाना फिल्म में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और हुमा कुरैशी पर फिल्माया गया है.

‘ये आवाज प्योर वाइन है’

इस फिल्म का म्यूजिक काफी अन्यूज्वल था और ऐसे में इस गाने का सीन में आना अपने आप में फिल्म को एक नया स्तर देता है. फिल्म में इस गाने की मेकिंग के बारे में बात करते हुए फिल्म की म्यूजिक कंपोजर स्नेहा खानवलकर और लिरिसिस्ट वरुण ग्रोवर ने बताया कि उनको अनुराग कश्यप ने गाने का आइडिया देते हुए बताया था कि जो शादियां उन्होंने देखी थीं वहां ढोलक पर चम्मच रखकर बजाए जाते हैं. स्नेहा ने बताया कि इस गाने को जब शारदा जी की आवाज में उन्होंने सुना तो उन्हें लगा कि बस यही सही है. इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि ये आवाज प्योर वाइन है.

फिल्म के कोरस का भी है दिलचस्प किस्सा

फिल्म के कोरस पर बात करते हुए स्नेहा ने बताया कि पहले कोरस को सुनकर अनुराग ने उनसे कहा कि ये लोग इतने खुश क्यों हैं? और ये बिल्कुल भी शारदा जी कि आवाज के साथ नहीं जा रहा है, ऐसे में कोरस को चेंज किया गया. इसके बाद स्टूडियो के पास के एक मंदिर से कुछ भजन गाने वाली महिलाओं को बुलाया गया. ये कोई प्रोफेशनल सिंगर्स नहीं थीं, बल्कि आमतौर पर भजन गाने वाली घरेलू महिलाएं थीं, लेकिन इन महिलाओं से इस गाने का कोरस गवाया गया. स्नेहा आगे बताती हैं कि क्योंकि ये प्रोफेशनल सिंगर्स नहीं थीं इसलिए कई जगह उनकी आवाज की सिंक्रोनाइजिंग नहीं हो पा रही थी. साथ ही उनकी चूड़ियों की आवाज भी उसमें आ रही थी. इस गाने को वही फील दिया गया है. शारदा जी की आवाज ने इस गाने को एक नया मुकाम दे दिया जो आज भी याद किया जाता है.

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *