IMT Desk
गंग नहर की सफाई के लिए खाली किया गया हर की पैड़ी, श्रद्धालुओं के स्नान करने पर रोका

अगर आप उत्तराखंड के हरिद्वार में हर की पौड़ी में स्नान करने का मन बना रहे हैं तो रुक जाइए, क्योंकि इस समय गंग नहर की सफाई और गंदगी निकालने का काम चल रहा है, और 20 दिनों के लिए हर की पैड़ी में स्नान बंद कर दिया गया है.

गंग नहर की सफाई के लिए श्रद्धालुओं को हरिद्वार में हर की पैड़ी घाट पर स्नान करने से रोक दिया गया है। यहां साफ-सफाई, गंदगी हटाने और जरूरी रखरखाव के लिए पानी खाली किया जाता है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक दिवाली की रात तक काम पूरा हो जाएगा, और एक बार फिर पानी छोड़ दिया जाएगा।
अब दिवाली की रात तक काम पूरा होने के बाद इसे खोला जाएगा। इससे हर की पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर गंगा में डुबकी लगाने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है. हर साल दशहरे से लेकर दिवाली तक यहां यह स्थिति देखने को मिलती है।
शरद पूर्णिमा पर श्रद्धालु नहीं कर सके स्नान

इन 20 दिनों के दौरान, गंग नहर को बंद कर दिया जाता है और सफाई की जाती है। धार्मिक नगरी हरिद्वार में चल रहे गंगा बांध से श्रद्धालु तो निराश हैं ही, हर की पैड़ी का ब्रह्मकुंड भी जलविहीन हो गया है. ऐसे में शरद पूर्णिमा के दिन भी श्रद्धालु यहां स्नान नहीं कर पाए हैं। आपको बता दें कि हरिद्वार के भीमगोड़ा बैराज से कानपुर तक 570 किलोमीटर लंबी उत्तराखंड गंग नहर का निर्माण ब्रिटिश इंजीनियर कर्नल पीबी कोटली के निर्देशन में साल 1842 में किया गया था। यह नहर नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली के बड़े हिस्से में पीने के पानी की आपूर्ति करती है।

अब जब नहर को सफाई के लिए बंद कर दिया गया है तो इन प्रभावित इलाकों में पानी का संकट पैदा हो सकता है. धार्मिक स्थल होने के कारणल लोगों की धार्मिक भावनाओं का भी ध्यान रखाने के लिए हर की पैड़ी और अन्य घाटों पर जलस्तर को थोड़ा बनाए रखा गया है. इसी प्रकार, सती घाट और मार्ग पर अन्य महत्वपूर्ण गंगा घाटों पर एस्केप चैनल के माध्यम से पानी का प्रवाह जारी रहेगा।
गंगा महासभा ने जताई आपत्ति

गंगा महासभा के अध्यक्ष तन्मय वशिष्ठ के मुताबिक, उन्होंने सिंचाई विभाग की इस कार्रवाई पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि साफ-सफाई अच्छी बात है, लेकिन श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार किसी को नहीं है. उन्होंने कहा कि हर की पैड़ी, कुशा घाट, विष्णु घाट तथा गणेश घाट पर कम से कम 1000 क्यूसेक जल प्रवाह बनाए रखा जाए।