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दिल्ली की इस सीट पर 2 प्रत्याशियों के बीच लगातार 3 बार आमना-सामना हुआ. इसमें एक ने हर बार जीत हासिल की जबकि दूसरा प्रत्याशी तीनों ही बार दूसरे नंबर रहा. हारे हुए प्रत्याशी के पिता यहीं से 3 बार विधायक चुने गए थे.

देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव की बयार बहने लगी है. सभी दल अपने-अपने स्तर पर चुनाव प्रचार में जुट गए हैं. लेकिन यहां पर भी कई सीटें ऐसी भी हैं जिनके परिणाम अपने आप में चर्चा का विषय रहे हैं. दिल्ली की एक सीट ऐसी भी है जहां पिछले 3 चुनावों में परिणाम को कोई बदलाव नहीं आया.

साल 2025 के चुनाव को लेकर चुनावी बिसात बिछने लगे हैं. लेकिन दिल्ली की तिलक नगर विधानसभा सीट अपने आप में खास है. पिछले 3 चुनाव में यहां पर आम आदमी पार्टी (AAP) का कब्जा बना हुआ है. वह यहां पर जीत की हैट्रिक लगा चुकी है. पार्टी ने तिलक नगर से अपने लकी प्रत्याशी को फिर से मैदान में उतार दिया है.

ओपी बब्बर 3 बार बने विधायक

यह सीट कभी भारतीय जनता पार्टी के ओपी बब्बर की वजह से जानी जाती थी. ओपी बब्बर तिलक नगर सीट से 3 बार विधायक चुने गए हैं. उनके बाद उनके बेटे राजीव बब्बर राजनीति में आए, लेकिन वह ज्यादा कामयाब नहीं हो सके. वह यहां से विधायक बनने का अपना सपना अब तक पूरा नहीं कर सके हैं.

तिलक नगर विधानसभा सीट पर 3 का अपना अनोखा संयोग भी है. ओपी बब्बर 3 यहां से विधायक चुने गए. तो उनके बेटे राजीव बब्बर को 3 बार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. इसी तरह आम आदमी पार्टी के जनरैल सिंह ने 3 बार यहां से जीत हासिल की. जनरैल के नाम लगातार जीत की हैट्रिक दर्ज है.

2013 से AAP ने जीते 3 चुनाव

2013 के चुनाव में दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की एंट्री होती है और फिर से यहां की सियासत में बदलाव आ जाता है. अपने पहले ही चुनाव में AAP ने 70 में से 28 सीटों पर कब्जा जमा लिया. 28 सीटों में से AAP के खाते में तिलक नगर सीट भी आई.

AAP ने यहां पर जनरैल सिंह को मैदान में उतारा तो बीजेपी ने 3 बार के विधायक रहे ओपी बब्बर के बेटे राजीव बब्बर को मौका दिया. साल 2013 के चुनाव में जनरैल ने राजीव को चुनौतीपूर्ण मुकाबले में 2,088 मतों के अंतर से हरा दिया. जनरैल को 34,993 वोट मिले तो राजीव को 32,405 वोट आए.

जनरैल-राजीव के बीच 3 मुकाबले

साल 2015 का चुनाव AAP के लिए बेहद शानदार रहा. अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली महज 3 साल पुरानी पार्टी ने दिल्ली में 70 सीटों पर झाड़ू लगा दी और 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की. तिलक नगर सीट पर AAP का ही कब्जा बना रहा. पार्टी ने जनरैल सिंह को मौका दिया तो बीजेपी ने फिर से राजीव को ही उतारा.

तिलक नगर सीट पर चुनावी बिसात बिछी तो एक बार फिर जनरैल सिंह और राजीव बब्बर के बीच ही मुकाबला रहा. हालांकि इन्हीं दोनों एक समान नाम के साथ एक अन्य जनरैल सिंह और राजीव बब्बर ने भी अपनी चुनौती पेश की. लेकिन बाजी AAP के जनरैल सिंह के खाते में गई.

जनरैल सिंह के खाते में 57,180 वोट आए तो राजीव बब्बर को महज 37,290 वोट मिले. एक अन्य जनरैल सिंह जो निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे तो उन्हें 570 वोट मिले. एक छोटी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरने वाले राजीव बब्बर को महज 253 वोट ही आए. AAP को यहां पर 19,890 मतों के अंतर से जीत हासिल की.

2020 के चुनाव में 3 जनरैल सिंह

साल 2020 के चुनाव में पिछली 2 बार की चुनावी जंग फिर दोहराई गई. लेकिन राजीव बब्बर इस बार भी अनलकी रहे. उन्हें AAP के जनरैल सिंह के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा. जनरैल ने अपनी जीत का दायरा बढ़ाते हुए 28,029 मतों के अंतर से अपनी हैट्रिक लगाई. वह लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए.

यह चुनाव इस मायने में भी खास रहा क्योंकि जनरैल सिंह और राजीव बब्बर नाम से कई प्रत्याशी मैदान में उतरे. AAP के जनरैल सिंह के अलावा 2 अन्य जनरैल सिंह ने भी अपनी चुनौती पेश की. एक जनरैल सिंह आप अपनी पार्टी (पी) के प्रत्याशी बने तो दूसरे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में. वहीं एक राजीव बब्बर बीजेपी के टिकट पर मैदान में थे तो दूसरे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में. देखा जाए तो राजीव नाम के 3 प्रत्याशी (2 राजीव बब्बर और 1 राजीव अरोड़ा) मैदान में थे.

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