Anuppur, MP

By दैनिक जागरण

On 17 Feb 2025

मध्य प्रदेश का अनूपपुर जिला आदिवासी अंचल क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. इस जिले के एक ग्राम पंचायत के आदिवासी सरपंच 2016 से अपने गांव के बच्चों का भविष्य संवारने के लिए नि:शुल्क ट्यूशन का पढ़ा रहे हैं. अब 2016 से पढ़ने वाले बच्चे बड़े होकर इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए वे भी बच्चों को पढ़ाने के प्रयास में लगे हैं.

2016 से आदिवासी बच्चों के नि:शुल्क दे रहे ट्यूशन

अनूपपुर की ग्राम पंचायत तितरीपोड़ी में कम पढ़े लिखे आदिवासी सरपंच अपने गांव के बच्चों का भविष्य संवारने के लिए वर्षों से नि:शुल्क ट्यूशन का आयोजन शाम को अपने ग्राम पंचायत में करते हैं. बच्चों का भविष्य संवारने के लिए वे लगातार प्रयास कर रहे हैं. गांव में 2016 से ये मुहिम सरपंच के द्वारा शिक्षा का स्तर बेहतर करने के लिए शुरू की गई थी. अब 2016 में ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चे बड़े होकर पढ़ लिख कर इस मुहिम को आगे बढ़ते हुए अपने गांव में बच्चों को फ्री में ट्यूशन पढ़ा रहे हैं.

Anuppur Sarpanch Charan Singh give Free Tuition to tribal Children

बच्चे हमारे गांव के भविष्य

ग्राम पंचायत तितरीपोड़ी के सरपंच चरण सिंह ने बताया कि “बच्चे हमारे गांव के भविष्य हैं इनको संवारने का प्रयास लगातार 2016 से किया जा रहा है. कोविड काल के समय बंद था जैसे ही कॉविड खत्म हुआ फिर से नि:शुल्क ट्यूशन शुरू किया गया. हमारे गांव में आठवीं तक का स्कूल है. यहां पर जो शिक्षक स्कूल में पढ़ाने आते हैं दूसरे जगह से आते हैं. ऐसे में स्कूल का समय खत्म होने के बाद बच्चों को पढ़ने के लिए हमारे गांव में एक भी शिक्षक नहीं है.

शाम को जब मैं गांव का भ्रमण करता था तो पता चला कि बच्चे स्कूल से आने के बाद यहां वहां घूमते थे तथा रात में सो जाते थे. ऐसे में मुझे लगा कि हमारे गांव का भविष्य अंधकार में जा रहा है जिसको देखते हुए शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए 2016 से गांव में पढ़े लिखे युवाओं को जोड़कर यह मुहीम शुरू की गई. आज जो बच्चे पहले ट्यूशन पढ़ते थे वह खुद पढ़ लिख कर गांव के बच्चे को नि:शुल्क ट्यूशन देने के मुहिम में साथ चल रहे हैं.”

प्रशासनिक अधिकारियों को बुलाकर करते हैं पुरस्कार वितरण

सरपंच चरण सिंह बताते हैं कि “शहरी क्षेत्र हमारे यहां से दूर पड़ता है तथा गांव के ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर रहते हैं. अपने बच्चों को बाहर ट्यूशन पढ़ने में सक्षम नहीं हैं तथा स्कूल के बच्चे जैसा देख सके वैसा बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसीलिए हर वर्ष अपने आसपास प्रशासनिक अधिकारियों को बुलाकर बच्चों को पेन, कॉपी, किताब, पुस्तक, बैग आदि का वितरण किया जाता है. खुशी की बात तब आती है जब अधिकारी बच्चों को समझाते हैं कि आप लोग इस गांव तथा देश के भविष्य हैं. नशा व गलत काम से दूर रहें. आप लोग अपनी पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दें और अपने गांव का नाम रोशन करें.”

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