Dharm Desk

शादी के दौरान कई रीति रिवाज निभाए जाते हैं. इसके साथ ही शादी से पहले वर वधु की कुंडली भी मिलाई जाती है. वर वधु के 36 गुण में से कितने गुण मिलना शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य से?

हिंदू धर्म में शादी-विवाह शुभ तिथि और शुभ मुहूर्त देखकर ही किया जाता है. शादी विवाह में दो लोगों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन होता है. शादी विवाह के दौरान कई रीति रिवाज भी निभाए जाते हैं. इसके साथ ही शादी से पहले वर वधु की कुंडली भी मिलाई जाती है. माना जाता है कि व्यक्ति की कुंडली में 36 गुण होते हैं. शादी विवाह के दौरान वर वधु के 36 गुण में से कितने गुण मिलना शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य से?

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने कहा कि जन्म के समय तिथि, ग्रह नक्षत्र और स्थान देखकर एक कुंडली तैयार की जाती है और शादी के वक्त पति-पत्नी की कुंडली मिलन की जाती है. सफल गृहस्थ के लिए पति-पत्नी के बीच गुण का मिलना बेहद जरूरी होता है, इसलिए शादी होने से पहले पति और पत्नी की कुंडली अवश्य देखनी चाहिए.

कितने गुण मिलना शुभ 
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि लड़का लड़की के शादी से पहले कुंडली मे राशि नाम के अनुसार गुण का मिलान करना जरूरी होता है. व्यक्ति के कुंडली में कुल 36 गुण होते हैं. 36 गुण में से 16 से भी कम गुण अगर मिल रहे हो तो वह अशुभ माना जाता है. इसके साथ ही 32 से भी ज्यादा गुण मिलना वह भी शुभ नहीं माना जाता है.

गुण के अलावा कुंडली में इन चीजों का विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि कुंडली में सिर्फ लड़का लड़की के गुण नहीं देखे जाते, बल्कि गण भी एक होनी चाहिए. गण तीन प्रकार के होते हैं राक्षस गण, देवता गण और मनुष्य गण. पति-पत्नी दोनों एक गण के रहे तो बेहद शुभ माना जाता है. इसके साथ ही नाड़ी भी देखी जाती है.अगर पति-पत्नी की कुंडली में नाड़ी एक हो तो वह शुभ नहीं मानी जाती है. पति-पत्नी की कुंडली में नाड़ी दोष नहीं होना चाहिए. तभी शादी शुभ मानी जाती है. कुंडली में अगर सब सही है तो ग्रह मैत्रीय होनी चाहिए. ग्रह मैत्रीय हो और गण, गुण नहीं मिल रहा हो तो भी शादी शुभ मानी जाती है.

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