Teekamgar, MP

मध्य प्रदेश में अजब-गजब परंपराएं हैं। आमतौर पर आपने बारात घोड़ी पर निकलती देखी होगी, लेकिन मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में बकरे पर बैठकर बारात निकली, वो भी एक बच्चे की। यह परंपरा लोहिया समाज से जुड़ी है, जिसे वह बरसों से निभा रहे हैं। इसे कर्ण छेदन संस्कार कहा जाता है।

अभी तक आपने आमतौर पर दूल्हे को घोड़ी पर बैठकर बारात में निकलते हुए देखा होगा। हालांकि टीकमगढ़ में एक ऐसी परंपरा है, जहां बालक के कर्ण छेदन पर उसे बकरे पर बैठाया जाता है। उसकी बारात निकाली जाती है। यह परंपरा लोहिया समाज में बरसों से चली आ रही है।

क्या होता है कर्ण छेदन संस्कार

टीकमगढ़ शहर के ताल दरवाजा के रहने वाले कैलाश लोहिया के पोते के कर्ण छेदन संस्कार में एक अनूठी परंपरा निभाई गई, जिसे देखकर लोग दंग रह गए। कैलाश लोहिया ने बताया कि उनके परिवार में यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि जब किसी बच्चे का कर्ण छेदन संस्कार होता है तो उसे शादी समारोह की तरह बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि उनके पोते राव अग्रवाल का कर्ण छेदन संस्कार गुरुवार को हुआ था।

क्या होता है इस परंपरा में

समाज की परंपरा के अनुसार उसकी बकरे पर बारात निकाली गई, जिसमें परिवार के सभी सदस्य और रिश्तेदार शामिल हुए। गाजे-बाजे के साथ निकाली गई बारात में लोग जमकर नाचे। पटाखे फोड़ कर जश्न मनाया गया। इसके बाद दूल्हे की रिश्ते में लगने वाली भाभी से उसकी शादी कराई गई। कैलाश अग्रवाल का कहना है कि उनके परिवार में कई पीढियों से परंपरा चली आ रही है। कर्ण छेदन की सामाजिक परंपरा को शादी समारोह की तरह बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि बच्चों का कर्ण छेदन 18 साल से कम उम्र में करने की परंपरा है। यह हमारे समाज में 16 संस्कारों में से एक है।

पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है परंपरा

कैलाश अग्रवाल ने बताया कि लोहिया समाज में यह परंपरा कई पीढियां से चली आ रही है। उन्होंने बताया कि उन्हें करीब अपनी 6 से 7 पीडियो का ध्यान है, जिसमें इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है। उन्होंने कहा कि बच्चे का कर्ण छेदन संस्कार 16 संस्कारों में से एक कहा गया है। इस परंपरा का निर्वाह हमारे समाज में भी होता है। उन्होंने बताया कि जिस बच्चे का कर्ण छेदन संस्कार होता है, उसको बकरी पर बैठाकर उसकी बारात निकाली जाती है और जो रिश्तेदार और बाराती होते हैं, वह जमकर नाचते हैं। इसके बाद सभी का खाना किया जाता है।

रिश्ते में लगने वाली भाभी से होती है शादी

उन्होंने बताया कि बच्चे की रिश्ते में जो भाभी लगती है, उसके साथ बेदी माता को साक्षी मानकर के भावर की रसम अदा की जाती है।

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