धर्म डेस्क

इस वर्ष आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 26 जून से 4 जुलाई 2025 तक मनाई जाएगी। यह नौ दिवसीय विशेष साधना काल मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की गुप्त तांत्रिक उपासना का सर्वोत्तम समय होता है। लेकिन धर्मशास्त्रों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस पावन काल में कुछ कार्य यदि भूलवश भी कर दिए जाएं, तो देवी की कृपा के बजाय उनका कोप प्राप्त हो सकता है।

देवघर स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के आचार्य पंडित नंदकिशोर शास्त्री के अनुसार, इस बार की गुप्त नवरात्रि की घटस्थापना ‘सर्वार्थ सिद्धि योग’ में हो रही है, जो इसे अत्यंत शुभ बनाता है। परंतु पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है।


गुप्त नवरात्रि में इन कार्यों से अवश्य बचें:

1. तामसिक भोजन पूरी तरह वर्जित

गुप्त नवरात्रि के दौरान मांस-मदिरा, प्याज-लहसुन, अंडा आदि का सेवन वर्जित माना गया है। ऐसा करना साधना की पवित्रता को भंग करता है और देवी दुर्गा की कृपा से वंचित कर सकता है।

2. ज्वार बोने की परंपरा न अपनाएं

जहां सामान्य नवरात्रि में घटस्थापना के साथ ज्वार बोना शुभ होता है, वहीं गुप्त नवरात्रि में यह परंपरा वर्जित मानी गई है। इसे करने से साधना निष्फल हो सकती है।

3. देवी के उग्र रूप की तस्वीरें न लगाएं

गुप्त नवरात्रि के समय रौद्र व उग्र रूपों की मूर्तियां या चित्र लगाने से मानसिक अस्थिरता और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है। शांति, साधना और स्थिरता हेतु सौम्य रूपों की पूजा का निर्देश है।

4. दक्षिण दिशा की यात्रा से परहेज

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्रि के दौरान दक्षिण दिशा की यात्रा अशुभ मानी गई है क्योंकि यह यम दिशा मानी जाती है। इस अवधि में उत्तर या पूर्व दिशा में यात्रा को शुभ बताया गया है।


गुप्त नवरात्रि: तांत्रिक साधना और सिद्धियों का अद्भुत काल

गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से तांत्रिक साधकों, मंत्र सिद्धि करने वालों और गुप्त विद्याओं के अभ्यासियों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस समय देवी के गुप्त स्वरूपों की पूजा कर भक्त धन, विजय, स्वास्थ्य, शत्रु नाश व मनोकामना पूर्ति के लिए साधनाएं करते हैं। पंडित नंदकिशोर के अनुसार, यदि श्रद्धा, नियम और संयम से साधना की जाए तो गुप्त नवरात्रि अद्भुत फलदायक सिद्ध हो सकती है।

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