
भोपाल।
कांग्रेस पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। पार्टी की अनुशासन समिति ने यह सख्त निर्णय उनके सार्वजनिक बयानों और नेतृत्व के प्रति असहमति के कारण लिया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव तारिक अनवर ने इस फैसले की पुष्टि की।
राहुल गांधी, वाड्रा और उमर अब्दुल्ला पर लक्ष्मण के निशाने
लक्ष्मण सिंह ने बीते 24 अप्रैल को राघौगढ़ में हुए एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनके बहनोई रॉबर्ट वाड्रा पर सीधी टिप्पणी करते हुए वाड्रा को “बचकाना वक्तव्य देने वाला” बताया था। साथ ही उन्होंने राहुल को अधिक सोच-समझकर बोलने की सलाह दी। यही नहीं, उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर भी विवादास्पद टिप्पणी करते हुए उन्हें आतंकियों से जोड़ दिया था।
पार्टी ने नोटिस जारी कर मांगा था जवाब
इन बयानों को पार्टी ने गंभीरता से लिया और 9 मई को लक्ष्मण सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया। समिति को मिला जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, जिसके बाद पार्टी नेतृत्व की मंजूरी से निष्कासन की घोषणा कर दी गई।
अनुभव तो था, पर सम्मान की कमी रही महसूस
लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा से विधायक और लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। राघौगढ़ की सियासी विरासत से जुड़े इस परिवार में जहां दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन सिंह का राजनीतिक दबदबा रहा, वहीं लक्ष्मण खुद को लंबे समय से उपेक्षित महसूस करते रहे। 2018 में मंत्री बनने की उनकी उम्मीदें भी टूट गई थीं, जब उनके स्थान पर जयवर्धन को कैबिनेट में शामिल किया गया।
बीजेपी का समर्थन, बोले – “सच कहने की सजा मिली”
इस घटनाक्रम पर बीजेपी विधायक अजय विश्नोई ने कहा कि लक्ष्मण सिंह ने जो बातें कहीं, वे गलत नहीं थीं। उन्होंने कहा, “अगर सच्चाई कहना बगावत है, तो हम भी बागी हैं।” साथ ही उन्होंने जोड़ा कि लक्ष्मण सिंह कभी भाजपा में शामिल होने की मंशा नहीं रखते।
सुरक्षा पर भी उठाए थे सवाल
लक्ष्मण सिंह ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद स्थानीय पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए थे और कहा था कि जहां भारी भीड़ थी, वहां सुरक्षा बलों की गैरमौजूदगी गंभीर लापरवाही को दर्शाती है।
कांग्रेस का सख्त संदेश – अनुशासन सर्वोपरि
पार्टी ने अपने निर्णय में साफ कर दिया है कि सार्वजनिक मंचों पर पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले बयान बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। निष्कासन का यह फैसला पार्टी में अनुशासन बनाए रखने के लिए एक स्पष्ट संकेत है।