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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार आठवीं बार बजट पेश कर रही हैं. इस दौरान उन्होंने बिहार में स्पेशल मखाना बोर्ड बनाने का ऐलान किया है. सरकार के इस कदम से मखाना उत्पादन को बढ़ावा और किसानों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. इस बोर्ड के जरिए मखाना किसानों को तकनीकी सहायता और वित्तीय सहायता दी जाएगी.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार आठवीं बार बजट पेश कर रही हैं. संसद में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने बिहार के मखाना किसानों और व्यापारियों के लिए बड़ी घोषणा की है. उन्होंने कहा कि राज्य में मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए एक स्पेशल मखाना बोर्ड बनाया जाएगा. इस बोर्ड के जरिए मखाना किसानों को तकनीकी सहायता और वित्तीय सहायता प्रदान भी की जाएगी, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हो सके.

बिहार देश में मखाना उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है, लेकिन अब तक इसे संगठित ढांचे में नहीं लाया गया था. सरकार के इस कदम से मखाना उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को उचित मूल्य मिलने के आसार माने जा रहे हैं. बजट में की गई इस घोषणा से इस क्षेत्र में अब नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

चुनाव से पहले बड़ा ऐलान

चुनाव से पहले बिहार के लिए ये एक बड़ी घोषणा मानी जा रही है. भारत का लगभग 90% मखाना उत्पादन अकेले बिहार करता है, जिसमें से 80% अकेले उत्तर बिहार में होता है. इसी वजह से दरभंगा और मधुबनी सहित उत्तर बिहार के कुछ जिलों को मखाना क्षेत्र के रूप में जाना जाता है.

यहां मखाना किसानों को उन्नत तकनीकों से प्रशिक्षित करने के लिए विश्व का एकमात्र मखाना अनुसंधान केंद्र भी है. इस केंद्र का उद्देश्य मखाना की गुणवत्ता सुधारना और उत्पादन को बढ़ावा देना है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सके. मखाना की बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार अब इसके व्यावसायिक उत्पादन को और बढ़ावा देने की योजना बना रही है.

कैसे होती मखाने की खेती

मखानों को आमतौर पर तालाबों में उगाया जाता है. मखाना की नर्सरी सर्दियों के दौरान, यानी नवंबर में तैयार की जाती है, और तीन से चार महीने बाद इसे मुख्य खेत में ट्रांसप्लांट किया जाता है. इसके बीज पानी में डालने के बाद अंकुरित होकर पौधे का रूप ले लेते हैं. मखाना की खेती के लिए चार से पांच फीट पानी की गहराई जरूरी होती है.

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