
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)। सिविल लाइन थाना क्षेत्र में एक ढाबे की आड़ में चल रहे नशे के गोरखधंधे का पर्दाफाश हुआ है। पति-पत्नी की यह जोड़ी, जो बाहर से ढाबा संचालक नजर आती थी, असल में तहखाने में गांजा, प्रतिबंधित कफ सिरप, इंजेक्शन और हथियारों का अवैध कारोबार चला रही थी। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए करीब 1.5 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है।
SAFEMA के तहत हुई बड़ी कार्रवाई
बिलासपुर पुलिस ने जब्त की गई संपत्ति को SAFEMA (Smugglers and Foreign Exchange Manipulators Act) कोर्ट में प्रस्तुत किया है। इस मामले में पूर्व में 15 अन्य नशा तस्करों की 5.5 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। यह ताजा कार्रवाई छत्तीसगढ़ में नशे के खिलाफ चल रहे अभियान का अहम हिस्सा मानी जा रही है।
तहखाने में छिपा था नशे का जखीरा
मुखबिर की सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने ग्राम पांड़ (तखतपुर रोड) स्थित ढाबे की तलाशी ली, जिसमें तहखाने से भारी मात्रा में नशे का सामान बरामद हुआ। जब्ती में शामिल हैं:
- गांजा
- कोडीन युक्त कफ सिरप
- प्रतिबंधित इंजेक्शन
- एक बंदूक
- इलेक्ट्रॉनिक सामान (टीवी, कूलर, फ्रीजर आदि)
ढाबे की आड़ में चल रहा था रैकेट
आरोपी श्याम श्रीवास और सरोज श्रीवास के खिलाफ पहले से नशे के मामलों में संदिग्ध गतिविधियां दर्ज थीं। पूछताछ में उन्होंने कबूल किया कि उन्होंने नशे की कमाई से ही ग्राम पांड़ में कृषि भूमि खरीदी और उस पर पक्का ढाबा बनवाया, जिसे वे नशे की तस्करी का केंद्र बनाकर चला रहे थे।
कोई वैध आय का स्रोत नहीं, फिर भी करोड़ों की संपत्ति
एसएसपी रजनेश सिंह ने बताया कि आरोपी दंपत्ति के पास ढाबा संचालन के अलावा कोई वैध आय का साधन नहीं था। इसके बावजूद उनके पास करोड़ों की संपत्ति का होना अवैध कारोबार की पुष्टि करता है।
नशा कारोबारियों को चेतावनी
एसएसपी ने इस कार्रवाई को एक सख्त संदेश बताया। उन्होंने कहा,
“बिलासपुर पुलिस मादक पदार्थों के अवैध कारोबार को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। ऐसे अपराधियों की संपत्तियां जब्त कर उन्हें कानूनी रूप से निष्क्रिय किया जाएगा।”