एक्टर अक्षय कुमार ने कहा कि हम एक्टर्स केवल अच्छे रिस्पॉन्स के लिए तरसते हैं। मैं फिल्म के रिस्पॉन्स से बहुत ज्यादा खुश हूं। ये मेरी अब तक कि सबसे बेस्ट फिल्म है। वहीं अक्षय का मानना है कि फिल्में प्रमोशन से नहीं चलती हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म रानीगंज की स्क्रिप्ट सुनते ही मुझे ये कहानी बहुत पसंद आ गई थी। मैं ऐसी फिल्में करना पसंद करता हूं, जो समाज को अच्छा मैसेज दे। फिल्म मिशन रानीगंज ने पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर 2.8 करोड़ रुपए की कमाई की है।

मुझे जसवंत सिंह गिल ने कहा था कि ‘ये फिल्म तुम सिख बनकर करना और पग जरूर पहनना।’

इस फिल्म के लिए मैं बहुत एक्साइटेड था- अक्षय कुमार

सिनेमा में कोल माइन के ऊपर बहुत कम फिल्में बनी हैं। इस फिल्म के लिए मैं बहुत एक्साइटेड था। इस फिल्म की सबसे स्पेशल बात थी कि ये रियल स्टोरी बेस्ड है।

अक्षय कहते हैं कि ये बहादुरी की कहानी है। कोल माइन में काम करने वाले लोग हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे ऐसी कहानियां बाहर लाने में मजा आता है। जानता हूं ऐसी फिल्मों की कमर्शियल वैल्यू ज्यादा नहीं होती है। इसके बावजूद मुझे ऐसी कहानियों पर काम करना अच्छा लगता है।

मैं अच्छी नॉलेज वाली फिल्में बनाना चाहता हूं, जो सोसाइटी को अच्छा मैसेज दे।

मेरे हिसाब से प्रमोशन करना बेफिजूल है- अक्षय कुमार

अक्षय ने कहा मेरे हिसाब से प्रमोशन करना बेफिजूल है। मैंने पहले कई फिल्मों के प्रमोशन नहीं किए लेकिन उनका रिस्पॉन्स अच्छा है। कुछ ऐसी भी फिल्में हैं जिनका प्रमोशन करने के बाद भी रिस्पॉन्स सही नहीं था। जब लोग एक दूसरे को फिल्म देखने की सलाह देते हैं, तो वो सही मायने में प्रमोशन होता है।

क्या यह फिल्म नेशनल अवॉर्ड की हकदार है?

इस पर अक्षय ने कहा कि नेशनल अवॉर्ड ही नहीं बल्कि जो भी अवॉर्ड हैं। टीनू देसाई उन सबके हकदार हैं। उन्होंने इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत किया है। वो पिछले 4 सालों से इस स्टोरी पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस फिल्म की कमाई के बारे में नहीं कहूंगा लेकिन मुझे इस फिल्म पर बहुत प्राउड है।

रानीगंज जैसी फिल्म बनाना कितना चैलेंजिंग होता है?

फिल्म की प्रोड्यूसर दीपशिखा देशमुख ने कहा कि ऐसी फिल्में बनाना बहुत बड़ा चैलेंज होता है। फिक्शन फिल्मों में आप अपने अनुसार कहानी बदल सकते हैं। रियल स्टोरी बेस्ड फिल्में बनाना बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। इस फिल्म में हम और अच्छा भी कर सकते थे। फिलहाल कम समय में हमने अपना बेस्ट दिया था।

फिल्म की कहानी क्या है?

फिल्म में एक इंसान की सूझबूझ और अदम्य साहस की कहानी दिखाई गई है। बात 1989 की है, जसवंत सिंह गिल और उनकी टीम ने रानीगंज में कोयले की खदान से 65 मजदूरों को निकालने के लिए एक रेस्क्यू मिशन किया था।

मजदूर जिंदा रहने की आशा छोड़ देते हैं ,ऐसे में जसवंत सिंह गिल उनके लिए मसीहा बनकर आते हैं। जसवंत सिंह गिल दृढ़ निश्चय के साथ मजदूरों को बचाने में लग जाते हैं और आखिरकार सफल भी होते हैं।

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