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किसी भी पारंपरिक काम से करोड़ों की कमाई की जा सकती है। ऐसा कर दिखाया है तमिलनाडु के इंजीनियर ने। आज यह अपने दादा की पुरानी दुकान में कोल्ड प्रेस्ड ऑयल बेचकर करोड़ों रुपये का कारोबार कर रहे हैं। वह ग्रामिया ब्रांड के तहत कई चीजों का तेल दुनियाभर में बेचते हैं।

आज जहां बाजार में रिफाइंड तेल दिखाई देता है, ऐसे में एक शख्स लोगों को पारंपरिक तरीके से तैयार कोल्ड प्रेस्ड तेल बेच रहा है। इस शख्स का नाम सिबी मणिवन्नन है। सिबी वैसे तो इंजीनियर हैं, लेकिन एक सोच से उन्होंने इंजीनियरिंग छोड़ अपने दादा के कारोबार को आगे बढ़ाने का फैसला किया। सिबी कोल्ड प्रेस्ड तेल बेचकर करोड़ों रुपये कमा रहे हैं।

सिबी के ब्रांड का नाम ग्रामिया (Gramiyaa) है। वह अपने दादा की पुरानी दुकान पर ग्रामिया चलाते हैं। वह इस ब्रांड के तहत कई तरह के फूड ऑयल बेचते हैं। इन ऑयल को तैयार करने में वह लकड़ी से बने कोल्ड प्रेस्ड का इस्तेमाल किया जाता है। इनके तेल की डिमांड देश-विदेश में काफी है।

कैसे हुई शुरुआत?

तमिलनाडु के सिबी बताते हैं कि उन्हें आज भी मां के हाथ के बनाए हुए उन डोसों की खुशबू और स्वाद याद है जिन्हें उन्हें बचपन में खाया था। इसका सबसे बड़ा कारण उन्हें बनाने में इस्तेमाल होने वाला तेल है। सिबी खुद को भाग्यशाली मानते हैं, क्योंकि उनके दादा ही थे जिन्होंने पारंपरिक पत्थर की मिलों का उपयोग करके लकड़ी से बने कोल्ड-प्रेस्ड तेल तैयार किए थे।

सिबी बताते हैं कि उनके दादा कोल्ड प्रेस्ड ऑयल बनाते थे। 90 के दशक में उनका कारोबार उस समय बंद हो गया जब रिफाइंड तेलों का चलन शुरू हुआ। सिबी कहते हैं कि वह इस काम को फिर से शुरू करना चाहते थे। उन्होंने साल 2017 में कॉलेज के दोस्तों मोहम्मद यासीन और नवीन राजामारन के साथ ग्रामिया की शुरुआत की। यह तिकड़ी हर महीने कम से कम 50,000 लीटर कोल्ड-प्रेस्ड तेल बेचती है।

ऐसे आए कारोबार में

साल 2015 में सिबी ने रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में अपनी इंजीनियरिंग पूरी कर ली थी। इसके बाद वह ऑटोमोबाइल डीलरशिप और रेस्टोरेंट चलाने के पारिवारिक कारोबार में आ गए। सिबी रेस्टोरेंट कारोबार के लिए थोक में ऑयल खरीदना चाहते थे। लेकिन उनमें कई तरह के केमिकल और मिलावट थी। इसके बाद उन्होंने परिवार के कोल्ड प्रेस्ड ऑयल कारोबार को आगे बढ़ाने का फैसला लिया।

ऐसे तैयार करते हैं तेल

सिबी ने बताया है कि वह किस प्रकार कोल्ड प्रेस्ड ऑयल तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि वह बीजों को एक दिन के लिए धूप में सुखाते हैं। इसके बाद लकड़ी के मूसल से पत्थर की चक्की पर इन बीजों से तेल निकाला जाता है। आमतौर पर, रिफाइंड तेल प्रोसेसिंग के दौरान हाइड्रोजनीकरण तापमान 200 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। जबकि ऐसा तेलों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया से ट्रांस फैट भी निकलता है जो दिल से जुड़ी बीमारियां बढ़ाता है।

मोहम्मद यासीन बताते हैं कि वह बीजों को इतना कुचलते हैं कि जितना तेल चाहिए उतना मिल जाए और बाकी बचा रह जाए। यासीन ने बताया कि वह सुनिश्चित करते हैं कि तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो। इससे तेल की सुगंध और क्वालिटी दोनों बेहतर रहते हैं।

कितनी हो रही कमाई?

ग्रामिया सभी श्रेणियों (मूंगफली, तिल और नारियल तेल) में रोजाना करीब 50 हजार लीटर कोल्ड प्रेस्ड ऑयल बेच देती है। इससे उन्हें हर महीने एक करोड़ यानी सालाना 12 करोड़ रुपये का रेवेन्यू होता है। रेवेन्यू का 50 फीसदी हिस्सा अमेरिका और कनाडा जैसे देशों को निर्यात से आता है।

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